राजस्थान के गाँवों मे जौर जी चाम्पावत के लिये होली पर गाया जाने वाला वीर-रस पूर्ण गीत :-
लिली लैरया ने लिलाड़ी माथे हीरो पळके वो
के मोडो बतलायो, ओ जोरजी सिंघनी को जायो रे
के मोड़ो बतलायो…
मेहला से उतरता जोरजी लोड़ालाडी बरजे वो
ढोड्या से निकलता जोरजी थाने मांजी बरजे वो
के मत खैरवे, ओ खैरवो भाया को बैरी रे…
के मत जा खैरवे…
पागडी़ये पग देता, जोरजी डाई कोचर बोली वो
जिवनी झाड्.या मे थाने तितर बरजे वो
के मत जा खैरवे…
गॉव से निकलता, जोरजी काळो खोदो मिलयो वो
जिवनी झाड़्या मे थाने स्याळ बरजे वो
के मत जा खैरवे…
ओ खैरवो भाया को बैरी रे
जोरजी रा घुड़ला कांकड़ - कांकड़ खड़िया वो
जोरजी रो झुन्झरियो भरीयोड़ो हाले वो
के मत जा खैरवे…
जोरजी रा घुड़ला सुंवा बजारा खडि़या वो
खाटू आळे खाण्डेय डूगंर खाली तोपा हाले वो
खैरवा ठाकर घोड़ा आडा दिना वो
खाटू रा सिरदारा थाने धान किकर भावे वो
जोरजी रो मोरियो जोधाणे हाले वो
के मत जा खैरवे…
भरियोड़ी बोतलड़ी ठाकर जाजम माते ढुळगी वो
राम धर्म न देय न दरवाजा जड़िया वो
के मोड़ो बतलायो ओ जोरजी सिंघनी रो जायो रे
के मोड़ो बतलायो…
ढाल न तलवार ठाकर महल माते रेगी रे
के भरियोड़ी बन्दुक बैरन धोखो देगी रे
के मत जा खैरवे…
जोरजी चाम्पावत थारे महल माथे मेड़ी वो
अर मेड़ी माते मोर बोले मौत नेड़ी वो
के मत जा खैरवे ओ खैरवो भाया को बैरी वो
के मत जा खैरवे…
साभार - हिम्मत सिंह चाम्पावत राजोद
पुस्तक - आईदानोत चाम्पावतो का इतिहास