म कई बार कहा गया है कि राजपूत (क्षत्रिय) इकलौती जाति है जो सिर्फ हिन्दू हिन्दू करती हैं। ब्राह्मण भी नहीं करते इतना | योगी के विरूद्ध राजनैतिक ध्रुवीकरण खुद पूर्वी व मध्य यूपी के ब्राह्मणों द्वारा है।
आज भी आपके नेताओं (जैसे मकराना व अमू) ने संजय सिंह पर कोई प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं की है कि किस तरह उस मतलबी आदमी ने अपने ही समाज के विरूद्ध ध्रुवीकरण में हिस्सा लिया । इन्हें तो अरनब गोस्वामी, कंगना रनौत, सी ए ए , हिंदी चीनी इत्यादि हिंदूवादी आरएसएस मुद्दों ही फुर्सत नहीं।ये लंगूर केवल समाज के युवाओं की ऊर्जा खराब कर रहे हैं हिंदुत्व के नाम l
जब तक राजपूत समाज हिंदुत्व में फसा रहेगा तब तक वह ना तो वह सही ढंग से सामाजिक चिंतन कर पाएगा और नाही अपनी ताकतों को समझ पाएगा।
अभी समय है कि आप राजपूत समाज (जिसमें एक तबका सिख राजपूतों का भी है) को एक करके उसे सक्षक्त कीजिए, समाज में असली मुद्दों को समझें और समाज को अवगत कराएं l
ना कि हिंदुत्व के footsoldier बन खुदको बर्बाद करें।
इतिहासकार hire करें,अपना इतिहास लिखें, अपने वर्तमान राजनैतिक व सामाजिक मुद्दों पर बात करें,देश भर के राजपूतों में नेटवर्क स्थापित कीजिए जैसे ब्राह्मण,जाट,मराठा,व दलितों ने कर रखा है।तभी समाधान है,नहीं तो उदासीनता स्वीकार करें।
कोई भी सामाजिक क्रांति एलीट वर्ग से ही शुरू होती है - चाहे दलितों में आई क्रांति या जाटों में आई क्रांति ।
जब तक आपका एलीट वर्ग जो अधिकतर राष्ट्रवादी,हिंदूवादी या Nehruvianism पर बोलता है अपने राजपूत समाज को इतना समय नहीं देगा जितना वह इन मुद्दों को देता है, तब तक मुश्किल है।
जब तक हिंदूवादी (पेशवाई विचारधारा) अथवा नेहरूवाद के दलदल में आप फसे रहेंगे तब तक आप राजनैतिक रूप से परीपक्य न हो मूर्ख आदर्शवादी ही रहेंगे।
यदि आप राजनैतिक रूप से परिपक्य नहीं हुए,तो सामाजिक आर्थिक और बौद्धिक रूप से पतन निश्चित।सामाजिक,आर्थिक बौद्धिक कमज़ोरी के कारण आप इतिहास भी न बचा पाएंगे।
मेरी नस्ल राजपूत है, मेरा धर्म क्षात्र धर्म है और मेरा goal मेरे लोगों की सामाजिक बौद्धिक आर्थिक तरक्की है और इतिहास संरक्षण है।
यदि किसी हिंदूवादी को हमारा समर्थन चाहिए, तो वह हमारी समस्याओं का हल करें, नहीं तो ।।
Photo : राजपूत शिरोमणि गौतम बुद्ध ।